झूठ फूस सभ बात केलक ओ
दावा के बरसात केलक ओ
बाईस जिल्ला के आठ बनौलक
१४ के लोकके कात केलक ओ
जाति में बँटलक भोट के खातिर
एहने सँस्कृति आयात केलक ओ
मुँह में राम बगलमें छुरा
भीतर भीतर घात केलक ओ
मुद्दा कहियो सुलझि ने पावए
पैदा एहन हालात केलक ओ
लहाश पर चढ़ि कs सत्ता पओलक
खुशी सँ भोज भात खेलक ओ
जाहि माय के दुध ओ पिलक
ओकरे छाती पर लात धेलक ओ…
घन्श्याम जि के फेस बुकमे भेटल बहुत सुन्दर कविता
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